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मैं गौरिश गर्ग पुत्र श्री अमनदीप एवं श्रीमती अंजू गर्ग वाईएस स्कूल बरनाला का छात्र हूँ। मैंने कक्षा आठवीं में पढ़ते हुए कविता लिखना शुरू किया। मुझे ऐसी लग्न लगी कि मेरे पास मेरी कविताओं का अच्छा संग्रह हो गया तब अपने अध्यापकों और माता-पिता की प्रेरणा से मैंने अपनी कविताओं को एक पुस्तक के रूप में संकलित करके पब्लिक करवाने का निश्चय किया। लिखने की प्रेरणा मुझे स्कूल में पढ़ते पढ़ते अपने अध्यापकों से मिली। जिसे अध्यापकों और मेरे माता पिता ने खूब सराहा। आठवीं कक्षा में पढ़ते हुए अपना काव्य संग्रह सपने पर मुझे अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। अपनी इस कला को आगे बढ़ाने के लिए में हमेशा कार्यरत रहूँगा। पुस्तक लफ्जों की जुबान उन कविताओं का एक संग्रह है, जिसे समाज का दर्पण कहा जा सकता है। इस पुस्तक में लेखक ने अपनी नन्हीं सी कलम से अपनी समाज में मनाए जाने वाले त्योहारों-उत्सवों एवं रीति-रिवाजों का वर्णन किया है। अपने छोटी से मन से अनुभव करके अपने इर्द-गिर्द के पर्यावरण संबंधी अपने विचार प्रकट किए हैं। अपने दोस्तों- मित्रों अध्यापकों एवं पुस्तकों में के बारे में अपने मन के भावों को व्यक्त करके कविता का रूप दिया है। कवि के बाल मन से निकली ये भावनाएँ जो कविता के रूप में इस पुस्तक में सुसज्जित है इनमें अधिकतम शांत रस का प्रयोग किया गया है। यह कविता संग्रह पाठकों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

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