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हॉ प्रियाकी का जन्म दारांत के हाल्टनगंज शहर में 8 अप्रैल, 1974 में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक, प्रो. सूर्यकांत चौधरी के घर में हुआ। अपने पिता की सबसे ज्येष्ठ संतान, इनकी माता श्रीमती विजयलक्ष्मी चौधरी स्थानीय निशन स्कूता में होबे अरसे तक विज्ञान की शिक्षिका होने के साथ साथ साहित्य में रुचि रखती है। माता और पिता की प्रेरणा से पठन, पाठन और बेखन में जल्दी ही रुचि हो गई। वहीं के रौक्रेड हार्ट स्कूत्र से दरानी तक की पढ़ाई की जैहा इनकी हिन्दी शिक्षिका श्रीमली रेणु शमां का इनके होरान को संवारने और दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। बारहवी की शिक्षा एपीजे स्कूल, नोएडा से करने के पश्चात इनका दाखिला दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं हस्पलान में हुआ जंहा से इन्हें चिकित्सा शास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त हुई। तत्पश्चात, फामीकोलाजी में स्नातकोत्तर इन्होंने राजेन्द्र इस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइसेज, रांची से किया। उर्तमान में महात्मा गांधी मैमोरियल मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर में फामाकोला जी विभाग में व्याख्याता के पद पर कार्यरत हैं और जमशेदपुर, झारखंड ही इनका स्थाई निवास स्थान है । यहा ये अपने पति, डा प्रणय कुमार मिश्रा और पुत्र प्रणीत कुमार मिश्रा के साथ सौवन व्यतीत कर रही हैं। लेखन इनका व्यक्तिगत शौक है। अंग्रेजी और हिन्दी दोनों ही आवाओं में नेखन में इनकी चि है। पत्र पत्रिकाओं के लिए बहुत कुछ लिखा है। पिट्सबर्ग से प्रकाषित दुवैभाषिक पत्रिका "सेतु" में इनकी अनेक कर्तिताएँ और कहानियों प्रकाशित हुई हैं। अमेजन पर अंग्रेजी में इनका एक उपन्यास, वाटसीण्वर यू इ. उपलब्ध है। हिन्दी में एक काव्य संग्रह, अनंत आकाश", विश्व हिन्दी पुस्तक बैंक, मोबा एप्स पर प्रकाशित हुई है जो कि यह पेप डाउनलोड कर पढ़ी जा सकती है। रात्याग्रह के पंख, इनकी तृतीय प्रकाशित पुस्तक है। भविष्य में भी लेखन और प्रकाशन की आकांक्षा रखती है।

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