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SUGAM SUNRACHNA EVAM BADHAMUKT VAATAVARAN: SUGMAYATA ANKEKSHAK KE LIYE HAST-PUSTIKA

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  • CategoryAcademic
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  • StreamLanguage, Literature And Linguistics

हम सभी के जीवन काल में सुगम्यता संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। प्राय: देखा जाता है किदैनिक कार्यों के क्रियावरण, मनोरंजन एवं अन्य वातावरण में विचरण के समयबच्चे, वृद्धजन, दिव्यांगजन, गर्भवती महिलाएं तथा अस्थायी गतिशीलता से पीड़ितबीमार तथा कमजोर व्यक्तियों को सुगम्यता से संबंधितसुविधाओं की जरूरतपड़ती रहती है।

प्राय: देखा जाता है किदिव्यांगजन के िलए बनाये गये सुगम्यता के मानकों का उपयोग 50 से 55 प्रतिशतलोग भी करते है। क्योंिक सभी लोगों को समान रूप से स्वतंत्रापूर्वक आपनी जरूरतों को समान रूप से पूरा करने के िलए बाधा रहितऔर अनुकुलितवातावरण की आवश्यकता होती है।

सुगम्य भारतअभियान’, वर्तमान सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक है। दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए हमारे माननीयप्रधानमंत्रीके सपनों के संकल्पों और अभियानों में से एक है।

दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के अनुसार, “दिव्यांग व्यक्तियों में वे लोग शामिल हैं जिनके पास लंबे समयतक शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी दोष हैं जो विभिन्न बाधाओं के साथ बातचीतकरते हैं और समाज में उनकी पूर्णऔर प्रभावी भागीदारी को एक समान रूप से बाधितकर सकते हैं।दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (2016) के अनुसार, दिव्यांग व्यक्तिकिसी भी सूचीबद्ध 21 प्रकार

की दिव्यांगता जैसे चलन्त संबंधी, मांसपेशीयदुर्विकास, ठीक किया हुआ कुष्ठ, प्रमस्तिक घात, बौनापन, अम्लहमले की पीड़ित, कम दृष्टि, दृष्टिहीनता, श्रवण क्षति, सुनने में कठिनाई, वाक् एवं भाषा दिव्यांगता, बौद्धिक दिव्यांगता, विशिष्टशिक्षण दिव्यांगता, ऑटिज्मस्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, मानसिक रूग्णता, क्रोनिक स्नायविक स्थिति, बहुल काठिन्य, पार्किन्सन रोग, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, सिकल सेल रोग है, जिनमें शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से विकास शामिल हैं। दिव्यांग व्यक्तियों की एक सामान्य परिभाषा चिकित्सास्थितियों द्वारा बनाई गई है जो किसी व्यक्तिके दैनिक जीवन और जीवन में बाधाओं के रूप में कार्यकरती है। हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हममें से हर कोई हमारे जीवन में किसी किसी तरह से दिव्यांग है, गर्भवती महिला, टूटा हुआ पैर वाला व्यक्ति, विशेष जरूरतों वाले बच्चेके माता-पिता (CWSN) हैं, बुजुर्गव्यक्तिहैं, सभी को वातावरण की बाधाअों का सामना करना पड़ता है।

इस प्रकार दिव्यांग व्यक्तियों की आवश्यकताओं को मुख्यधारा के समाज के अधिकारों के साथ जोड़ाजा सकता है। ये व्यक्ति, चाहे वह अस्थायी रूप से या स्थायी रूप से अक्षम हों, दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में विभिन्न बाधाओं का सामना करते हैं। इन बाधाओं में केवल उनकी स्वयं की दुर्बलताएँ, बल्किउनके आस-पास के वातावरण द्वारा उत्पन्न अवरोध भी शामिल हैं।

हमारे आस-पास के भौतिक और आभासी वातावरण को हर किसी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुकूल और बाधा रहितहोना चाहिए। यह अधिकार के दृष्टिकोण की ओर अधिक है, जिससे दिव्यांगजन को प्रभावी तरीके और अपनी पूरी क्षमता से सेवाओं और संसाधनों तक पहुंचने का अधिकार िमलें।

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Book Title SUGAM SUNRACHNA EVAM BADHAMUKT VAATAVARAN: SUGMAYATA ANKEKSHAK KE LIYE HAST-PUSTIKA
Author(s) IIP BOOKS
ISBN 978-1-954461-28-4
Book Language HINDI
Book Size 7x10 Standard
Published Date FEBRUARY, 2021
Total Pages 230
Paper Quality 75 GSM
Book Edition FIRST EDITION

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