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RAM JEEVAN MAALA

  • TypePrint
  • CategoryNon-Academic
  • Sub CategoryFiction
  • StreamPoetry-Fiction

अब तक विज्ञान ने 118 तत्वों की खोज की है, अभी हाल में ही 119 वाँ तत्व जिसको गॉड पार्टिकल कहा गया है की खोज हुई है। जिससे कि पृथ्वी का निर्माण हुआ बताया गया परंतु एक राम तत्व जिसका अस्तित्व इस पृथ्वी के निर्माण से भी पूर्व हुआ जो सर्वकालिक है जो सबसे हल्का जो भावों में रहता है जो ना केवल सबसे हल्का अपितु  सबसे भारी भी है विज्ञान कभी चिन्हित नहीं करता क्योंकि यह विज्ञान की परिधि से बाहर है परंतु यह विशुद्ध विज्ञान अर्थात अध्यात्म का सबसे महत्वपूर्ण प्रारंभिक एवं अंतिम तत्व है। यहां से ही प्रकृति उदय होती है और यहीं मिल जाती है उद्भासित, आभासित और अनुमानित होती हुई। यह प्रज्ञ मानव की खोज से परे है यही वह तत्व है जिससे वस्तुतः हर जड़ चेतन अस्तित्व में है हम स्थूल की समग्र विवेचना और संरचना में चले गए हैं परंतु सूक्ष्म अदृश्य जो हमारी आत्मा का परमाणु है कि विवेचना और संरचना की खोज नहीं कर रहे हैं। आत्मा का परम सूक्ष्म कण ही राम है जिससे वस्तुतः समस्त ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है इस राम तत्व में ही पूरी सृष्टि की संरचना और संहार की क्षमता विद्यमान है । वर्तमान में हमारे पास जो परमाणु, हाइड्रोजन इत्यादि जो भी शक्तियां हैं यह सब वस्तुतः राम तत्व से ही निर्मित हैं जो अभी तक मानव की पहुंच से बाहर है। वस्तुतः कभी-कभी इसका अनुभव अवश्य होता है पर हमारी सूक्ष्म बुद्धि ना तो उसकी संपूर्ण क्षमता का आकलन कर पाई है ना ही हमने इस ओर पूरा चिंतन किया है। कभी-कभी अध्यात्मिक लोगों ने इसका उच्च अवस्था में अनुभव अवश्य किया है। यह शरीर अर्थात प्रकृति ही इसके उत्सर्जन के स्रोत है। राम एक राजा ,देवता, भगवान जरूर हैं पर उनके द्वारा पुत्र, पति ,राजा ,प्रजा और पिता के रूप में जो राम नाम के तत्व को उजागर किया है वह अतुल्यनीय है यह भाव (राम तत्व) ही भगवान है। राम नाम के जप से आप के भाव भी रिश्तो में राम तत्व की वृद्धि कर सकते हैं जिससे आप और समाज सुखी हो सकते हैं। शास्त्रों में भी कहा गया है ब्रह्म तत्व अर्थात राम तत्व प्रकाश रूप है अनंत है ज्योतिषमान है और आयतन स्वरूप है । राम नाम का जप करने से राम तत्व स्थूल तत्व से जुड़कर उसको शुद्ध कर देता है इससे जीवन में दैवीय गुणों का प्रकाश हो जाता है और व्यक्ति माया से मुक्त हो  परमहंस हो जाता है जो कि मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य है यह राम नाम के उच्चारण से सहज ही प्राप्त हो जाता है राम रूपी मय को पीकर आप भवसागर में डूबेंगे नहीं वरन मुक्ति रूपी आकाश में स्वच्छंद विचरण करते हुए परम पिता परमेश्वर से जुड़ने लगेंगेः

कलियुग केवल नाम अधारा   ।

सुमिर सुमिर नर उतरीं पारा ।।

संसार रूपी समुद्र को पार करने के लिए नाम रूपी पतवार की अति आवश्यकता है और रामजीवन माला भगवान को जीवन में अपनाने का धूल के कण से भी छोटा प्रयास ।

प्रस्तुत पुस्तक सरल सुगम्य हिन्दी के शब्दों में पिरोयी गयी है ताकि पाठकों को आत्मसात करने में कोई कठिनाई न हो । बाकी राम कथा वही है जो रामायण में महर्षि वाल्मीकि और रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने कही है ।

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Book Title RAM JEEVAN MAALA
Author(s) Mahendra Pal Kathuria
ISBN 978-93-5747-588-4
Book Language HINDI
Published Date JANUARY, 2024
Total Pages 286
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Paper Quality 75 GSM
Book Edition FIRST EDITION

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